तम्बाकू से कैंसर
कैंसर से मरने वालों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है | इसका मुख्या कारण है – तम्बाकू का सेवन | तम्बाकू किसी भी रूप में लिया जाता हो वो हानिकारक है और कैंसर को बढ़ावा देता ही है |
इस चर्चा में जुड़े थे जबल पुर के प्रसिद्द कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्यामजी रावत , जो मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर भी है और कैंसर के करीब १००-१५० मरीज़ों को प्रतिदिन देखते है |
जितने भी मरीज़ आते है, उनमे से अधिकतम तम्बाकू का सेवन करते है और मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र से आते है |
लोगो में जागरूकता की बहुत कमी है क्योंकि उनके परिवार में तम्बाकू का सेवन प्रचिलित है इसलिए हानियों के बारे में जानकारी नहीं होती | तम्बाकू का पौधा होता है जो अपने आप में ही मानव शरीर के लिए उपयुक्त नहीं है | लोग तम्बाकू का सेवन pleasure के लिए लेते है ,क्यूंकि जब हम तम्बाकू लेते तो कुछ हार्मोन्स निर्माण होते है जिससे मन को सुकून की अनुभूति होती है ,काम करने में मन लगता है लेकिन कुछ समय तक लेने के बाद दिमाग पर इसका असर होना बंद होता है, तो फिर तम्बाकू की या सिगरेट की मात्रा बढ़ता जाता है जिससे उसकी आदत लग जाती है |
तम्बाकू में जो निकोटिन होता है शरीर उसकी मांग बार बार करने लगता है |
विडंबना यह है कि तम्बाकू के निर्माण में बड़ी बड़ी कंपनी लगी हुई है, क्योंकि इससे उन्हें बहुत मुनाफा होता है | किसी व्यक्ति को एक बार आदत लग गयी तो वह जीवन भर के लिए उनका ग्राहक बन जाता है | आजकल के युवाओं को ही अधिक टारगेट किया जाता है इसलिए बच्चो में भी कैंसर मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है | भारत सरकार ने तम्बाकू के विज्ञापन पर रोक लगायी है | इसलिए जो टीवी पर पान मसाला आदि के विज्ञापन आते है यह उन्ही कंपनी के होते है जो तम्बाकू निर्माता है | लोग पान मसाला के साथ भी तम्बाकू का ही सेवन करते है क्योंकि स्वाद बढ़ जाता है | इस प्रकार से समाज में व्यसनों को बढ़ावा मिल रहा है और मन – शरीर को दूषित किया जा रहा है |
तम्बाकू के अंदर जो निकोटिन है, वो दुनिया का दूसरा सबसे घातक रसायन है | जितना सिगरेट में निकोटिन होता है, वह अगर किसी के ब्लड में इंजेक्ट कर दिया जाए तो उसकी मौत भी हो सकती है |
तम्बाकू के अंदर जो रसायन है, वो शरीर के हर कोशिका को प्रभावित करता है, इसलिए कैंसर के अलावा दूसरी बीमारियां भी हो सकती है |
तम्बाकू की वजह से जगह जगह गन्दगी भी होती है |
तम्बाकू की आदत से छूटने के लिए मैडिटेशन सहायक है, क्योंकि जब हम राजयोग का अभ्यास करते
है तो दिमाग भी एंडोरफीन क्रिएट करता है, जिससे अच्छे पन की भावना जगती है जो निकोटिन लेने से प्राप्त होती आयी है |
इसमें थोड़ी सी दृढ़ता की ज़रूरत होती है | मन को समझाना होता है कि इसके सेवन से कितने नुक्सान होता है |
युवाओं में सबसे अधिक मृत्यु का कारण तम्बाकू ही है |
तम्बाकू का सेवन जीवन के किसी भी पड़ाव में, किसी भी रूप में कोई न कोई बिमारी लाने की वजह बन जाता है |
जब हम इसे छोड़ने का संकल्प लेते है तो मन और शरीर में कुछ तकलीफ हो सकती है| जो की कुछ समय के लिए ही होती है लेकिन हम उसके लिए डॉक्टर से सलाह ले सकते है |
यह जानकारी भी ज़रूरी है, कि लोगो को लगता है कैंसर की बीमारी का इलाज बहुत महंगा होता है ,साधारण व्यक्ति के लिए इतना खर्च संभव नहीं है | अब सरकार द्वारा ऐसी अनेक योजना चलायी गयी है जो निशुल्क है | कई सरकारी अस्पताल में कैंसर इलाज मुफ्त में होता है |
तम्बाकू का सेवन स्वयं और परिवार समाज और स्वस्थ्य राष्ट्र के लिए हमे छोड़ने का प्रयास करना चाहिए |
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